महामृत्युंजय यज्ञ
महामृत्युंजय मंत्र “ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम. उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात” भगवान शिव को प्रसन्न करने का मंत्र है। पुराणों में असाध्य रोगों व अकाल मृत्यु से मुक्ति के लिए इस मंत्र के जाप का विशेष उल्लेख मिलता है।
आजकल की तेज रफ्तार वाली जिंदगी में स्थिरता का अभाव होता है। जिससे अशुभ घटना होने की संभावना बढ़ जाती है। साथ ही वर्तमान जीवनशैली के कारण बीमारियों का खतरा भी आम लोगों पर बढ़ता जाता है। ऐसे में हमारी प्राचीन संस्कृति हमें ऐसे मार्ग दिखाती है जिनसे हम स्वास्थ्य संबंधी, अशुभ घटनाओं आदि को टाल सकते हैं। इन्हीं उपायों में से एक है महामृत्युंजय मंत्र का पाठ। महामृत्युंजय मंत्र “ॐ त्रयम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम. उर्वारुकमिव बन्धनान मृत्योर्मुक्षीय मामृतात” भगवान शिव को प्रसन्न करने का मंत्र है। पुराणों में असाध्य रोगों व अकाल मृत्यु से मुक्ति के लिए इस मंत्र के जाप का विशेष उल्लेख मिलता है। यह मंत्र अत्यधिक शक्तिशाली माना जाता है। इसके बारे में प्रचलित पौराणिक कथा के अनुसार ऋषि मृकण्डु के पुत्र मार्कण्डेय का जीवनकाल मात्र 16 वर्ष का था। जब मार्कण्डेय को अपने भाग्य का पता चला तो उसने शिवलिंग के समक्ष शिव पूजन प्रारंभ कर दिया। यमराज जब मार्कण्डेय को लेने आए तो उसने अपनी बाहों को शिवलिंग के चारों तरफ लपेट कर दया याचना की। यम ने जबरन मार्कण्डेय को शिवलिंग से अलग करने का प्रयत्न किया जिसपर भगवान शिव क्रोधित हो उठे और यम को मृत्यु दण्ड दे दिया। भगवान शिव ने यम को इस शर्त पर जीवित किया कि ये बच्चा हमेशा जीवित रहे। यहीं से इस मंत्र की उत्पत्ति हुई।
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